Saturday, 12 August 2017

सैलानियों की पहली पसंद बना है सिलाव का खाजा



अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर एवं नालंदा के बीच स्थित सिलाव की चर्चा वहां के वावन परत वाली खास्ता व लजीज खाजा के कारण दूर-दूर तक फैली है. राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगाये गये प्रदर्शनी में भी अपने खास स्वाद से सिलाव का खाजा ने अपनी अलग छाप छोड़ी है.
राजगीर व नालंदा भ्रमण को आने वाले देसी व विदेसी पर्यटक सिलाव के खाजा का जायका लेना नहीं भूलते हैं. खास कर पर्यटक मौसम में सिलाव स्थित खाजा की दुकाने सैलानियों से गुलजार देखा जाता है. राजगीर महोत्सव को लेकर सिलाव के खाजा दुकानदार काफी उत्साहित हैं. महोत्सव में भाग लेने वालों के साथ दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करने आये सैलानी सिलाव का खाजा सौगात के रूप में अपने साथ ले जाते हैं. सिलाव में खाजा का सालाना व्यवसाय पांच करोड़ से अधिक का रहता है.


वैसे तो शादी विवाह व अन्य अवसरों पर यहां के खाजा की मांग सालों भर रहती हैं.खाजा के मशहूर निर्माता काली साह के नाम पर वहां कई दुकानें अभी संचालित हैं. बुद्ध काल से मशहूर खाजा निर्माण की कला काली शाह के वंशजों को विरासत में मिली है. जिसे वे लोग आज भी संवार कर रखा हुआ है.


पटना सहित अन्य शहरों में सिलाव के खाजा के नाम पर व्यवसाय शुरू किया गया. परंतु स्वाद व खाजा जैसे गुणों से युक्त सिलाव के खाजा का कोई भी मुकाबला नहीं कर सका. सिलाव के खाजा के महत्व व इसकी विशेष खासियत के प्रभाव से सरकार भी अछूता नहीं है. सरकार द्वारा सिलाव के खाजा निर्माताओं का कलस्टर बना कर इसे उद्योग के रूप में विकसित करने की घोषणा की गयी है.

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