Friday 18 August 2017

पंचगव्य : जानिए-रामबाण-पंचगव्य-के-बारे-में-खास-बातें

गाय के दूधदहीघीगोमूत्र और गोबर का पानी को सामूहिक रूप से पंचगव्य कहा जाता है। आयुर्वेद  में इसे औषधि की मान्यता है।

Kya aapne kabhi cow Panchagavya uses ke bare mein suna hai? Janiye iske fayde, ise banane ki vidhi (preparation) uses in Hindi aur kaise yah agriculture may upyog hota hai. पंचगव्य को आयुर्वेदिक के क्षेत्र में औषधि के रूप में उपयोग किया है | इसे मनुष्यों के पूर्ण कल्याण और अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वर्ग के उपहार के रूप में माना जा सकता है | यह माना जाता है कि पंचगव्य का सेवन करने से भौतिक और मानसिक विकार को दूर किया जा सकता है |

Panchagavya को गाय के  उत्पादों को मिश्रण कर के निर्मित किया जाता है, इसका इस्तेमाल पारंपरिक भारतीय अनुष्ठानों के लिए किया जाता है |

निर्माण के लिए सामग्री / Ingredients

तो चलिए पहले यह जानते है की इसे बनाने के लिए किन किन चीजों की जरुरत पड़ती है |
  • गोमूत्र: 1ली.
  • गोबर: 2 कि.ग्रा.
  • दूध: 1 ली.
  • Vinegar: 1 ली.
  • घी: 200 ग्राम
  • गुड़: 500 ग्राम
  • केला: आधा दर्ज़न
  • कच्चा नारियल : 2
  • पानी :10 ली.
  • मटका : 1

पंचगव्य बनाने की विधि / Steps to prepare Panchagavya

इसे बनाने के लिए गाय के 9 उत्पाद गोबर, गोमूत्र, दूध, दही, गुड़, घी, केले, कच्ची नारियल और पानी शामिल हैं ।

  • पंचगव्य को बनाने के लिए सबसे पहले गोमूत्र, गोबर और घी को अच्छी तरह से मिला कर इसे एक मटके में डाल कर इसे ढक कर रख दे |
  • अगले तीन दिनों तक इस मिश्रण को अपने हाथो या किसी लकड़ी की मदद से चलाए |
  • चौधे दिन इस मिश्रण में बचे हुए सभी सामग्रियों को डाल कर अच्छे से मिक्स कर इसे ढक दे |
  • अगले दिन सभी मिश्रणों को किसी लकड़ी की मदद से चलाए, इस प्रक्रिया को सात दिनों तक दोहराए |
  • जब इसका खमीर बन जाए या मटके से खुशबू आने लगे तो समझ ले की यह तैयार हो गया है, यदि मटके के खट्टी बदबू आये तो इस प्रक्रिया को अगले सात दिनों तक चालू रखे |
  • अब 10ली. पानी में 250 ग्रा. पंचगव्य को मिलाकर किसी भी फसल में डाल सकते हैं | इसका इस्तेमाल हम खाद, कीटनाशक के रूप में या बीमारियों के रोकथाम में किया जा सकता है |
इसे एक बार बना लेने से 6 महीनो तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है | इसे बनाने के लिए इसकी लागत मात्र 70 रु. प्रति लीटर आती है |

Usage / उपयोग

  • इसे मंदिरों में प्रसाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है |
  • पंचगव्य का औषधीय प्रयोग, विशेष रूप से गाय मूत्र, आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है
  • इसका उपयोग एक उर्वरक और कीटनाशक के रूप में बीजो के इलाज के लिए किया जाता है |
  • यह हल्दी, अदरक और गन्ना के पौधों के लिए बहुत ही उपयोगी होता ही और इसका इस्तेमाल करने से फसलो की अधिक पैदावर होती है |
  • प्रस्ताव किया गया है कि यह ब्रोयलर आहार में एक एंटीबायोटिक विकास प्रमोटर है, जो मछली फ़ीड के लिए प्लवक की वृद्धि को बढ़ाने में सक्षम है।
  • यह कभी-कभी कॉस्मेटिक उत्पादों में आधार के रूप में प्रयोग किया जाता है |
तो किसान भाइयों, आप इस विधि को अपनाकर अपने खेतो से अधिक उत्पादन पा सकते हैं और कम खर्चो में अपना काम निकल सकते हैं |

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