Sunday 20 August 2017

तीज का व्रत क्यों मनाया जाता हैं

तीज का व्रत क्यों मनाया जाता हैं

तीज का व्रत इसलिए रखा जाता है क्योंकि जितनी भी सौभाग्यवती स्त्रियां है वे अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने अथवा जो अविवाहित युवतियां है वह अपने मन मुताबिक वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत रखती हैं.
इस व्रत कि विशेषता इसलिए और बड जाती है क्योंकि सर्वप्रथम तीज व्रत को माता पार्वती ने भगवन शिव शंकर के लिए रखा था इसलिए तीज का महत्व और ज्यादा बड जाता हैं.
तीज के दिन गौरी−शंकर भगवन की भी पूजा की जाती है और जितनी भी स्त्रियां है जो इस दिन व्रत रखती है वह सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं.
गौरी−शंकर भगवन की भी पूजा करने के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर इनकी प्रतिमा स्थापित की जाती है| इसके अतिरिक्त माँ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है.
इस दिन रात को तीज के गीत (भजन) और कीर्तन का आनंद लिया जाता है और जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और भगवान् शिव पार्वती विवाह की कथा भी सुनी जाती है.

तीज व्रत की अनिवार्यता और समापन

इस व्रत को पात्र कुवारी कन्यायें या सुहागिन महिलाएं दोनों ही रख सकते हैं परन्तु एक बार अगर आपने व्रत रख लिया तो जीवन पर्यन्त इस व्रत को रखना पड़ता हैं.
अगर किसी प्रकार कोई महिला गंभीर रोगी की हालात या बिमार है तो उसके बदले दूसरी महिला या फिर उसका पति भी इस व्रत को रख सकता हैं.
तीज व्रत का समापन
इस व्रत में जिसने व्रत रखा होता है उसको सोना नहो होता इसलिए वह रात्रि में भजन कीर्तन के साथ रात्री जागरण में भाग लेती है.
इस दिन प्रातः काल स्नान करने के पश्चात् श्रद्धा एवम भक्ति पूर्वक किसी सुपात्र सुहागिन महिला को खाद्य सामग्री, वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, फल, मिष्ठान्न एवम यथा शक्ति आभूषण का दान करना चाहिए.

तीज त्यौहार का उत्सव Celebration of Teej Festival in Hindi

तीज के दिन महिलायें पारम्परिक डिज़ाइन के वस्त्र पहनती है, अपना सिंघार करती है अथवा अपने हाथों और पैरों में मेहंदी लगाकर तीज फेस्टिवल का आनन्द लेती हैं.
कई महिला Teej Tyohar के लिए अपने माता-पिता के घर भी जाती है और रक्षा बंधन तक वही रहती हैं और अपने प्रिय भाई के लिए प्रार्थना करती हैं.
जहाँ महिलाएँ अपने भाइयों की लम्बी आयू और घन सम्पति के लिए प्रार्थना करती हैं वही दूसरी और विवाहित महिला / दुल्हन को उसके ससुराल वाले कुछ उपहार देते हैं. ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है.
उत्तरी भारत के आसपास देखा जाने वाला तीज जुलूस देखने योग्य होता है क्योंकि यह तीज माता के सम्मान के लिए भव्य व्यवस्था के रूप में दर्शाया जाता है.
देवी पार्वती या तीज माता की प्रतिमा को सोने के गहरे और सुंदर रेशम से सजाया जाता हैं. इसमें कई प्रकार के संगीत, नृत्य का प्रदंशन होता है जिसे पूरे शहर में चरों और घुमाया जाता है.

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