सत्तू सेहत के लिए वरदान है। गर्मियों में इसका सेवन शीतलता प्रदान करता है। विभिन्न अनाजों जैसे जौ , चना , गेहूं , अरहर , मटर , खेसरी , कुलथा और चावल आदि को सूखा भूनकर और उस को पीस कर बनाए गए चूर्ण को सत्तू कहते हैं। ग्रीष्मकाल शुरू होते ही भारत में अधिकांश लोग सत्तू का प्रयोग करते हैं, क्योंकि यह ठंडा पेय पदार्थ है। सत्तू बढ़ते बच्चों के लिए एक पौष्टिक आहार है। बढ़ते बच्चों को रोज़ दो चम्मच सत्तू का सेवन कराना चाहिए क्योंकि बढ़ते बच्चों के स्वास्थ्य के लिए यह बहुत लाभकारी है।
साबुत अनाज का प्रयोग होने से सत्तू फ़ाइबर से भरपूर होता है जो कि पेट के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसमें लो ग्लाईसेमिक इंडेक्स होते हैं जिस कारण यह मधुमेह के रोगी के लिए बहुत अच्छा होता है। यह मोटापा दूर करने में भी सहायक है, इसलिए ग्रीष्मकाल में सत्तू का सेवन ज़रूर करें।
चने वाले सत्तू में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और मकई वाले सत्तू में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। इसलिए आप चाहे तो दोनों सत्तू को अलग अलग या मिलाकर सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से आप कई रोगों को दूर भगाकर स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं।
गर्मियों में हेल्थ ड्रिंक के तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला चने का सत्तू कई तरीकों से सेहत के लिए फायदेमंद होता है। काले चने को भून कर उसका तैयार आटा ही चने का सत्तू है, जिसमें फाइबर्स और कार्बोहाइड्रेट्स की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। गर्मियों में प्यास बुझाने के लिए कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल सेहत के लिए जितना नुकसानदायक होता है, उतना ही चने के सत्तू का शर्बत लाभदायक होता है। तो इन गर्मियों में अपनी प्यास चने के सत्तू से बुझाएं। ये हैं उसके कुछ खास फायदे...
1. पाचन सही रहता है
चने में मौजूद फाइबर्स की भरपूर मात्रा इसे पीसने के बाद बने सत्तू में भी उतनी ही मात्रा में बनी रहती है, जिसे पीना बहुत ही लाभकारी होता है। गर्म, मसालेदार और ऑयली खाना खाने से अपच की समस्या होना आम बात है। इसे चने का सत्तू पीकर आसानी से दूर किया जा सकता है। इसमें मौजूद फाइबर्स ही डाइजेशन को सही रखने में मदद करता है।
2. मोटापा कम करता है
चने के सत्तू में कई सारे ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो एक संपूर्ण आहार के लिए जरूरी होते हैं। इसे खाने से या इसे पीने से काफी समय तक भूख नहीं लगती। जिससे आसानी से वजन कम किया जा सकता है। कई बार डाइटिंग के लिए लोग घंटों भूखे रहते हैं जिससे वजन तो आसानी से कम हो जाता है, लेकिन ज्यादा समय तक भूखे रहने से सेहत पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। लेकिन चने का सत्तू इन सारी समस्याओं को खत्म करता है।
तरह तरह के सत्तू का सेवन
1. चने का सत्तू
ग्रीष्मकाल में चने के सत्तू को पानी में घोलकर या घी शक्कर मिलाकर पीने से शीतलता प्राप्त होती है। चने के सत्तू को पानी, काला नमक और नींबू के साथ घोलकर पीने से पाचनतंत्र ठीक रहता है। चने का सत्तू गर्मी में पेट की बीमारी और शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। जौ और चने के मिश्रण से बने सत्तू का सेवन करने से मधुमेह रोग में राहत मिलती है। सत्तू में प्राकृतिक रूप से रक्त शोधन का गुण होता है, जिसकी वजह से ख़ून की गड़बड़ियों से भी बचा जा सकता है।
2. जौ का सत्तू
जौ से बना सत्तू पाचन में हल्का और सुपाच्य होता है। जौ का सत्तू शीतलता प्रदान करता है, कब्ज़ को दूर करके कफ़ तथा पित्त का शमन करने वाला है। जल में घोलकर पीने से यह तुरंत शक्ति प्रदान करता है। यह पीने में मधुर, रूचिकारक और पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है। यह थकावट, भूख, प्यास और नेत्र विकार नाशक होता है। जो लोग धूप में पसीना बहाकर अधिक परिश्रम करते हैं। उनके लिए सत्तू का सेवन बेहद लाभकारी है।
3. चावल का सत्तू
चावल का सत्तू हल्का और शीतल होता है। ग्रीष्मकाल में बेहद शीतलता प्रदान करता है।
सत्तू का सेवन
- सत्तू लोग नमकीन व मीठा दोनों तरह से बनाकर सेवन करते हैं।
- मीठा सत्तू बनाने के लिए सत्तू में उचित मात्रा में शकर या गुड़ को पानी में घोलकर सत्तू में मिलाते हैं और तरल पदार्थ बना लेते हैं। फिर इसे टेस्ट करते हैं।
- नमकीन बनाने के लिए इसमें उचित मात्रा में पिसा हुआ जीरा व नमक पानी में डालकर इसी पानी में सत्तू घोलें। इसे आप अपनी इच्छा के अनुसार पतला या गाढ़ा बना सकते हैं।
सत्तू खाने में सावधानी
सत्तू का सेवन करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें…
- सत्तू का सेवन भोजन के बाद कभी भी ना करें।
- सत्तू कभी भी अधिक मात्रा में ना खाएं।
- सत्तू का सेवन रात में न करें।
- सत्तू में पानी अधिक मात्रा में ना मिलाएं।
- सत्तू का सेवन करते समय बीच में पानी न पिएं।
सत्तू अपने आप में पूरा आहार है, यह एक सुपाच्य, हल्का, पौष्टिक और शीतल आहार है, इसीलिए इसका सेवन ग्रीष्म काल में अवश्य करें। ताकि आप कई रोगों से मुक्त और हेल्दी रहें।
The images represent actual product though color of the image and product may slightly differ.All our collection are made on the basis of information collected from diffrent sources like some popular blog, forums and indication mentioned on the product wrapper. So, all the herbal medicine should be used under Medical Supervision only.
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