पूरी दुनिया में जरूरत पड़ने पर जितनी एण्टीबॉयोटिक दवाऐं खायी जाती हैं उससे कही ज्यादा तो हमारे देश में बिना जरूरत के ही खा ली जाती हैं, बेशक इसलिये ही एण्टीबॉयोटिक दवाओं का भारत सबसे बड़ा बाजार है । सभी जानते हैं कि इन दवाओं को खाने से शरीर में बहुत नुक्सान होता है । इस लेख में हम बात करेंगे कुछ उन उपायों के बारे में जिनको अपनाकर एण्टीबॉयोटिक दवाओं के सेवन से शरीर को मिलने वाले दुष्परिणामों से बचा जा सकता है या उनको कम किया जा सकता है
दही खाना एण्टीबॉयोटिक दवाओं के बुरे असर से बचने का एक बहुत कारगर उपाय है । एण्टीबॉयोटिक दवाओं के सेवन से आँत में रहने वाला अच्छा बैक्टीरिया नष्ट होता है जिस कारण से धीरे धीरे शरीर में वह एण्टीबॉयोटिक काम करना बंद कर देती है और अगली बार और ताकतवर एण्टीबॉयोटिक का सेवन करना पड़ता है । ताजा जमे हुये प्राकृतिक मीठे दही से शरीर को इस अच्छे बैक्टीरिया की प्राप्ति होती है जिस कारण से शरीर की रोग प्रतिरोधी शक्ति दोबारा मजबूत होती है जिस कारण से अगली बार दवा की ज्यादा ताकतवर खुराक की जरूरत नही पड़ती है ।
एण्टीबॉयोटिक के दुष्परिणाम से बचने का तरीका नम्बर दो :-
लहसुन का सेवन करना एण्टीबॉयोटिक के दुष्परिणामों से बचने का बहुत अच्छा उपाय है । लहसुन में एलीसिन नामक कम्पाउन्ड पाया जाता है जो एण्टीबॉयोटिक दवाओं के किडनी और लीवर पर पड़ने वाले गलत असर से बचाने में बहुत उपयोगी होता है ।
एण्टीबॉयोटिक के दुष्परिणाम से बचने का तरीका नम्बर तीन :-
एण्टीबॉयोटिक दवाओं का सबसे ज्यादा असर लीवर पर पड़ता है । मिल्क थिसल नामक पौधा जिसको हिंदी में दुग्ध रोम कहते हैं लीवर को बचाने का सबसे अच्छा उपाय है । इस पौधे के सत्व से बनी गोलियॉ और कैप्सूल कई कम्पनियॉ बाजार में बेचती हैं जिनमें हिमालय नामक कम्पनी प्रमुख हैं । इसका सेवन करने से लीवर सुरक्षित रहता है ।
एण्टीबॉयोटिक के दुष्परिणाम से बचने का तरीका नम्बर चार :-
अदरक से बनी चाय, एण्टीबॉयोटिक दवाओं के सेवन करने से होने वाली उल्टी और उबकाई के साईड इफैक्ट को दूर करने के लिये बहुत अच्छा तरीका है । इसके अलावा अदरक से बनी चाय का सेवन करने से पेट में बनने वाली दुखन और गुड़गुड़ की आवाज की परेशानी से भी बचा सकता है ।
एण्टीबॉयोटिक के दुष्परिणाम से बचने का तरीका नम्बर पाँच :-
सेब का सिरका एक बहुत ही अच्छा समाधान है जो आपको एण्टीबॉयोटिक दवाओं के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों से बचाने का काम करता है । इसके लाभ पाने के लिये दो चम्मच सेब का सिरका एक गिलास गुनगुने गरम पानी में मिलाकर रोज दो बार तब तक सेवन करें जब तक आपका एण्टीबॉयोटिक का कोर्स चल रहा है ।
एण्टीबॉयोटिक के दुष्परिणाम से बचने का तरीका नम्बर छः :-
एक और बहुत ही अच्छा उपाय है कि तरल पदार्थों का सेवन खूब किया जाये । एण्टीबॉयोटिक दवायें गरम तासीर की होती हैं और शरीर में गरमी पैदा करती हैं और इस गरमी के कारण भी शरीर में कई उपद्रव पैदा होते हैं । तरल पदार्थों के सेवन से यह गरमी शांत होती है । ताजा पानी, उबला पानी, ताजा निकाला फलों और सब्जियों का रस आदि इसके लिये सर्वोत्तम विकल्प हैं । कोल्डड्रिंक, बीयर और चीनी मिले पेय पदार्थ लाभ नही करते हैं इसलिये इनका सेवन ना करें ।
एण्टीबॉयोटिक के दुष्परिणाम से बचने का तरीका नम्बर सात :-
सबसे अच्छा उपाय यह है कि बिना मतलब के एण्टीबॉयोटिक दवाओं का सेवन ही ना किया जाये । ये दवायें तब ही खानी चाहिये जब आपका चिकित्सक आपको इनका सेवन करने के लिये निर्देशित करे ।
एण्टीबॉयोटिक दवाओं के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों से बचने के लिये यहॉ बताये गये सभी उपाय हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित है फिर भी आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के बाद ही इसको सेवन करने की हम आपको सलाह देते हैं । ध्यान रखिये कि आपका चिकित्सक आपके शरीर और रोग के बारे में सबसे बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नही होता है ।
एण्टीबॉयोटिक दवाओं के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों से बचने के लिये उपायों की जानकारी वाला यह लेख आपको अच्छा और लाभकारी लगा हो तो कृपया लाईक और शेयर जरूर कीजियेगा । आपके एक शेयर से किसी जरूरतमंद तक सही जानकारी पहुँच सकती है और हमको भी आपके लिये और बेहतर लेख लिखने की प्रेरणा मिलती है । इस लेख के सम्बन्ध में आपके कुछ सुझाव हों तो कृपया कमेण्ट करके हमको जरूर बताइयेगा ।
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